Lekhika Ranchi

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लोककथा संग्रह 2

लोककथ़ाएँ


खिलौना बतख: डेनमार्क की लोक-कथा

एक बार की बात है कि एक मक्खा, एक टिड्डा और एक खिलौना बतख में यह बात हुई कि देखें उनमें से कौन सबसे ऊँचा कूदता है।
सो उन्होंने यह तमाशा देखने के लिये सारी दुनियाँ को बुलावा भेजा। पर जब तीनों एक कमरे में मिले तो तीनों को लगा कि वे तो तीनों ही सबसे ज़्यादा ऊँचा कूदने वाले हैं।
जब राजा को इस मुकाबले का बुलावा आया तो उसने सोचा कि यह मुकाबला बेकार नहीं जाना चाहिये सो उसने यह घोषणा करा दी कि वह अपनी बेटी की शादी उसी से करेगा जो उस मुकाबले में सबसे ऊँचा कूदेगा क्योंकि वह यह मुकाबला बेकार नहीं जाने देना चाहता था।
सबसे पहले मक्खा आगे आया। वह बहुत ही अच्छे तौर तरीके वाला था क्योंकि उसकी नसों में कुलीन परिवार का खून दौड़ रहा था। वह आदमियों के साथ रहता था जो अपने आपमें दूसरे जानवरों के लिये एक बहुत बड़ी बात थी। उसने चारों तरफ झुक कर लोगों को नमस्ते की।
उसके बाद टिड्डा आया। वह साइज में मक्खे से कहीं ज़्यादा बड़ा था पर बड़ी शान से चल रहा था। वह अपने वही हरे रंग के कपड़े पहने था जिनको पहन कर वह पैदा हुआ था। उसने बताया कि वह मिश्र के किसी बड़े पुराने परिवार से आता था और यहाँ भी उसकी बहुत इज़्ज़त थी।
सच्चाई तो यह थी कि जब वह खेतों से बाहर लाया गया था तो उसको रहने के लिये एक तीन मंजिल का एक बहुत बड़ा मकान दिया गया।
उसका यह मकान ताश का बना हुआ था और ताश के पत्तों की तस्वीर वाली साइड अन्दर की तरफ थी। उसके दरवाजे और खिड़कियाँ पान की बेगम की कमर में कटे हुए थे।
वह बोला — “मैं इतना अच्छा गाता हूँ कि यहाँ के 16 मकड़ों को जो जबसे पैदा हुए हैं तभी से गाते हैं उनको भी अभी तक रहने के लिये ताश के पत्तों घर नहीं दिया गया। जबसे उन्होंने मेरे गाने के बारे सुना है वे दुबले होते जा रहे हैं। ”
इस तरह मक्खे और टिड्डे ने अपने अपने बारे में वहाँ बैठे लोगों को बताया और उनको लगा कि वे राजकुमारी से शादी करने के लायक क्यों नहीं हो सकते थे।
खिलौना बतख कुछ नहीं बोला। लोगों ने सोचा शायद वह इस लिये नहीं बोला क्योंकि वह बहुत ज़्यादा जानता था। घर के कुत्ते ने उसको अपनी नाक से सूँघा और उनको विश्वास दिलाया कि खिलौना बतख भी एक अच्छे कुलीन परिवार से आता था।
एक बूढ़े सलाहकार को खिलौना बतख के बारे में चुप रहने के लिये तीन बार कहा जा चुका था कि खिलौना बतख के बारे में कुछ न बोले क्योंकि खिलौना बतख तो एक धर्मदूत था।
क्योंकि कोई आदमी भी क्या मौसम का हाल लिखेगा जो उस खिलौना बतख की पीठ पर लिखा रहता था और जिसे कोई भी पढ़ सकता था कि इस साल जाड़ा हल्का होगा या ज़ोर का।
राजा बोला — “इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूँगा क्योंकि मेरी अपनी राय है। ”
मुकाबला शुरू होने वाला था सो मक्खा बहुत ज़ोर से कूदा। वह इतनी ज़ोर से कूदा कि लोगों को यही दिखायी नहीं दिया कि वह कहाँ तक ऊँचा गया। इसलिये लोगों ने कहा कि वह तो कूदा ही नहीं। हालाँकि यह बात उसके लिये बहुत शर्मनाक थी पर वह क्या करता उसकी कूद ही इतनी ऊँची ही थी।
उसके बाद टिड्डा कूदा। वह मक्खे से केवल आधा ऊँचा ही कूद पाया पर वह जा कर राजा के मुँह पर गिरा जो राजा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
खिलौना बतख बहुत देर तक खड़ा रहा और सोचता रहा। उस को खड़े खड़े और सोचते सोचते इतनी देर हो गयी कि लोगों ने सोचा कि शायद वह तो कूदेगा ही नहीं।
घर के कुत्ते ने सोचा कहीं ऐसा न हो कि यह खिलौना बतख बेचारा बीमार हो गया हो। इतने में ही वह खिलौना बतख कूदा और राजकुमारी की गोद में जा कर गिर गया जो एक सोने के स्टूल पर राजा के पास ही बैठी थी।
राजा बोला — “मेरे लिये मेरी बेटी से बढ़ कर कोई नहीं है इसलिये खिलौना बतख ने ही सबसे ऊँची कूद लगायी है। इस सबको करने के लिये अच्छा दिमाग चाहिये और खिलौना बतख ने यह साबित कर दिया है कि उसके पास अच्छा दिमाग है और वह उसका अपना है। ”
और इस तरह उसने राजकुमारी को जीत लिया।
मक्खा बोला — “मेरे लिये सब बराबर है। राजकुमारी जी वह खिलौना बतख अपने पास रख सकती हैं। मुझे मालूम है कि मैं ही सबसे ऊँचा कूदा था पर आजकल की दुनिया में लोग अच्छी सूरत ही ज़्यादा पसन्द करते हैं काम नहीं। ”
उसके बाद मक्खा वह देश छोड़ कर विदेश चला गया और बेचारा वहीं विदेश में ही मारा गया।
टिड्डा एक हरी जगह चला गया और दुनियाँ की बातों के बारे में सोचने लगा — “अच्छी सूरत ही इस दुनिया में सबसे बड़ी चीज़ है। लोग इसी को सबसे ऊँची चीज़ समझते हैं काम कोई नहीं देखता। ”
फिर उसने एक दुखी गाना गाना शुरू कर दिया जो वह आज तक गा रहा है। और यह कहानी भी उसके उसी गीत से ली गयी है।

(सुषमा गुप्ता)

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साभारः लोककथाओं स

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